Shodashi Secrets

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं

Matabari Temple can be a sacred place the place individuals from diverse religions and cultures Obtain and worship.

The essence of those rituals lies within the purity of intention along with the depth of devotion. It isn't simply the exterior steps but The interior surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.

When Lord Shiva read in regards to the demise of his spouse, he couldn’t Command his anger, and he beheaded Sati’s father. Nonetheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s lifetime and bestowed him with a goat’s head.

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Should the Shodashi Mantra is chanted with a transparent conscience in addition to a determined intention, it will make any would like arrive accurate for you personally.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

॥ अथ more info श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः

Cultural occasions like folks dances, tunes performances, and plays also are integral, serving as being a medium to impart traditional stories and values, Primarily on the younger generations.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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